July 5, 2022

मुस्कान

मुस्कान

मुस्कुराने में कोई हर्ज़ नहीं, यह लबों पर कोई कर्ज़ नहीं। एक मुस्कान दिन हसीन बना सकती है, उम्मीदों के कई चिराग जला सकती है। रूठे को मना सकती है,रोते को हँसा सकती है। अपनेपन का एक एहसास दिला सकती है। झूठे ही सही,ख़्वाब दिखा सकती है, मायूस दिल का हौंसला बढ़ा सकती है। मुस्कान …

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मुखौटा

मुखौटा

देखो-देखो कितने अद्भुत मुखौटे, भिन्न-भिन्न रंग-रूप से लुभाते मुखौटे। कितने किरदार निभाते मुखौटे, कभी हँसाते तो कभी रुलाते मुखौटे। कभी खूबसूरत तो कभी बदशक्ल दिखाते मुखौटे, कभी झूठ दिखाते तो कभी सच को छुपाते मुखौटे। कभी चेहरा ही मुखौटा बन जाता है, हमारे मन के दर्पण को धुँधला कर जाता है। इस भ्रम के मुखौटे …

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विरासत

मेरी विरासत

मुझे विरासत में माँ ने दिए…. चंद ग़ज़लें,कुछ कविताएँ और मोहक लोकगीत। आज भी मेरे ज़हन ने सँभाले,जैसे हो वे मेरे मीत। याद है मुझको अपने बचपन की, नटखट से भोलेपन की। याद है मुझको चित्रहार और फ़िल्म देखने के पागलपन की। चित्रहार और फ़िल्म के लिए, माँ को कितना पटाते। माँ बस हामी भर …

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जीवन बहती धारा

जीवन बहती धारा

जीवन बहती धारा है। बहना प्रकृति का नियम है। निरंतर बहते जाना है। कुछ इसी बहाव के साथ बहते जाते हैं। कुछ इस धारा के प्रवाह को मोड़ नया रास्ता बनाते हैं। बूँद-बूँद के आवेश से झरने झरते हैं। मुश्किलों के पत्थर कभी-कभी रुकावट करते हैं। किंतु रोक नहीं पाता विशाल पर्वत भी, जो बहने …

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प्रकृति

प्रकृति

प्रकृति है अनमोल धरोहर, वरदान है परम परमेश्वर का। उगता सूरज खिलती सुबह, महका फूल हर उपवन का। शीतल हवा के मदमाते झोंके, उत्साह बढ़ाएँ जीवन का। नदियाँ,पर्वत,बादल,सागर अद्भुत मेल रहस्यों का। हर दिन दिखलाए नया रूप, जैसे कोई चित्र बहुरंगों का। प्रकृति की महिमा को, संकल्प करें ऊँचा करने का। अधिक वृक्ष चँहुओर लगाकर, …

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चाहत के रंगीन धागे

चाहत के धागे

चाहत के रंगीन धागे,           आज फिर से बुन लिए। मोहब्बत की स्याही भरे,           लफ़्ज़ों के फूल चुन लिए। एहसास के कशीदों से,           ग़ज़ल के बोल गढ़ दिए। कलम की सुई से,           जज़्बात सारे सिल दिए। उम्मीदों के थोड़े सितारे,           आँचल पर जड़ दिए। आरज़ू-ए-महफ़िल में,           पेश-ए-नज़र कर दिए। गुनगुनाकर …

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चाहत

चाहत

कभी तारों को अपने घर में सजा कर देखो, इस ज़मीं को आसमां बना कर देखो। कभी तारों को अपने घर में सजा कर देखो….. कोई मंज़िल नहीं ऐसी जिसे तुम पा ना सको, हौंसला अपना फ़लक से बढ़ा कर देखो। कभी तारों को अपने घर में सजा कर देखो….. कोई ख़्वाब नहीं ऐसा जो …

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कीचड़ में खिला कमल

कीचड़ और कमल

  कीचड़ में खिला कमल फिर भी,                 प्रभु-चरणों में शरण पाता है‌। सूर्य की स्वर्णिम किरणों से,             अप्रतिम सौंदर्य पाता है। कीचड़ का भाग्य है या कमल का? दोनों का साथ होना ही,जीवन का सत्य बताता है। सुख-दुख जीवन के दो पहलू हैं ! दुख का अनुभव होने से ही,सुख का महत्व बढ़ जाता …

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कठपुतलियाँ

कठपुतलियाँ

कल तक हम समझते थे, मुट्ठी में हैं हमारी दुनिया। कौन हूँ मैं और कौन तू! यह वक्त ने समझा दिया। न फ़कीर मैं न तू कोई बादशाह, एक हाथ की बस उँगलियाँ। वक्त के हाथों की सब, नाचती हुई कठपुतलियाँ! आज हैं यहाँ,शायद कल नहीं होंगे। जगमगाते हुए नए चेहरे सजे होंगे। चक्र है …

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आइना

आइना

आइना भला कब बोलता है! जो देखता है वैसा ही दिखता है! क्या पहचान पाए तुम अपने अस्तित्व को? क्या नहीं देखा तुमने किसी नकाबी व्यक्तित्व को? सिर से पैर तक झूठ का श्रृंगार है। न दया, न करुणा, न किसी से प्यार है। चेहरे पर लगाकर झूठ का मुखौटा, मैं भी हूँ आइने में …

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