मेरी माँ, प्रभा

कभी मुझे पढ़ाया,कभी मुझे समझाया। जब भी जीवन का पाठ मैं भूली,मुझे सब याद कराया। आसमान को छूने के प्रयास में,कभी सँभली कभी गिर पड़ी‌। हाथ बढ़ाकर धीरे से अपना,मेरा हौंसला बढ़ाया। जब भी जीवन का पाठ मैं भूली,मुझे सब याद कराया।  कभी मुझे पढ़ाया,कभी मुझे समझाया…   बहुत कठिन था इस जीवन के सार …

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