प्रकृति है अनमोल धरोहर,
वरदान है परम परमेश्वर का।
उगता सूरज खिलती सुबह,
महका फूल हर उपवन का।
शीतल हवा के मदमाते झोंके,
उत्साह बढ़ाएँ जीवन का।
नदियाँ,पर्वत,बादल,सागर
अद्भुत मेल रहस्यों का।
हर दिन दिखलाए नया रूप,
जैसे कोई चित्र बहुरंगों का।
प्रकृति की महिमा को,
संकल्प करें ऊँचा करने का।
अधिक वृक्ष चँहुओर लगाकर,
सम्मान करें इस जीवन धन का।