देखो-देखो कितने अद्भुत मुखौटे,
भिन्न-भिन्न रंग-रूप से लुभाते मुखौटे।
कितने किरदार निभाते मुखौटे,
कभी हँसाते तो कभी रुलाते मुखौटे।
कभी खूबसूरत तो कभी बदशक्ल दिखाते मुखौटे,
कभी झूठ दिखाते तो कभी सच को छुपाते मुखौटे।
कभी चेहरा ही मुखौटा बन जाता है,
हमारे मन के दर्पण को धुँधला कर जाता है।
इस भ्रम के मुखौटे को चेहरे से हटाओ,
तुम अपनी सच्ची मुस्कान दुनिया को दिखाओ।
देखो-देखो कितने अद्भुत मुखौटे,
भिन्न-भिन्न रंग-रूप से लुभाते मुखौटे।