जीवन बहती धारा है।
बहना प्रकृति का नियम है।
निरंतर बहते जाना है।
कुछ इसी बहाव के साथ बहते जाते हैं।
कुछ इस धारा के प्रवाह को मोड़ नया रास्ता बनाते हैं।
बूँद-बूँद के आवेश से झरने झरते हैं।
मुश्किलों के पत्थर कभी-कभी रुकावट करते हैं।
किंतु रोक नहीं पाता विशाल पर्वत भी,
जो बहने के लिए अनवरत प्रयत्न करते हैं।
सूख जाती है कष्टों की गर्मी से जब जीवन धारा,
मेघ बरसकर फिर उसमें साँस भर देते हैं।
यह चक्र है जीवन का, चलता ही जाता है।
प्रवाह को जीवित रखने में बूँद का अस्तित्व पिघल जाता है।
जीवन बहती धारा है।
बहना प्रकृति का नियम है।
निरंतर बहते जाना है।