मेरी शायरी

ज़िंदगी,आ तुझे हम गले से लगाएँ।
कारवां मिले न मिले,तुझे अपना हमसफ़र बनाएँ।

ग़ज़ल

बंदिश में न बाँधों, मैं कोई बहर तो नहीं, 

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नई शुरुआत

चलो, फिर से नई शुरुआत करें। जो रूठ गए

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ख़ुशी

ख़ुशी दोगुनी हो जाती है, जब दोस्तों से थोड़ी

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नई बात

वही दुनिया,वही लोग,मैं भी वही हूँ। फिर भी हर

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फ़ासले

फ़ासले दरमियां थोड़े कम कर दो, गिले-शिकवे किसी हिसाब

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किस्तें

मैं क्या कहूँ अपना दिल-ए-हाल, बस मैं हूँ और

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पनाह

रात की आगोश में, ख़्वाबों को पलने दो। सुबह

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तलाश

तलाश कभी खत्म नहीं होती! हर एक साँस जीने

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सपने

सपने वही, जो सोने नहीं देते। अपने वही, जो

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