मेरी शायरी

ज़िंदगी,आ तुझे हम गले से लगाएँ।
कारवां मिले न मिले,तुझे अपना हमसफ़र बनाएँ।

तारीफ़

तारीफ़ करना ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाएगा, पहले किसी पर फ़िदा

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जीने की चाहत

बहुत ख़ूबसूरत है ज़िंदगी, पल-पल जीने की चाहत बढ़

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फिर आना

जाओ तुम मगर फिर आना,  सोचूँ जब कभी ख़्याल

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बड़ी बात

किसी चेहरे से मायूसी हटा सकूँ,तो बड़ी बात होगी।किसी

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